दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया,कृष्ण कन्हैया,तारो तुम मोरी नैया।
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कृष्ण कन्हैया,कृष्ण कन्हैया,तारो तुम मोरी नैया।
नैया तो मझधार फँस गई,पार करो यशुदा छैया।
खुशियां मुझसे रुठ गई है ,पास गमों के साये है।
तुम ही नाथ निभाने वाले,अब क्यों आज रुलाये है।
मेरे सब दुख दर्द मिटा दो,परों तुम्हारी मैं पैया।
नैया तो मझधार,,,,,,,,
मेरे एक तुम्हीं मनमोहन, तुम ही सदा हंसाते हो।
सारा जग मतलब का साथी,तुम आकर समझाते हो।
कोई अपना नही सगा है तुम ही पिता और मैया।
नैया तो मझधार,,,,,,,,,
कृपा सिन्धु कृपाभी करदो मैं दर्शन की प्यासी हूँ।
दर्शन देकर के अपनालो स्वामी तो तेरी दासी हूँ ।
पंचाली की लाज बचाई, बन जाओ मेरे भैया।
नैया तो मझधार,,,,,,,,,,
मीरा सी मन रटन लगा दो ,राधा जैसी प्रीत प्रभो।
तुमसे हरपल हारती जाऊं,यही हमारी जीत प्रभो।
'सरिता' निर्मल बनू सावरे,परूं तुम्हारी मैं पैयां।
नैया तो मझधार,,,,,,,,
सुनीता गुप्ता 'सरिता' कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
27-Oct-2022 06:02 AM
बहुत ही उम्दा
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Pratikhya Priyadarshini
27-Oct-2022 01:19 AM
Bahut khoob 🙏🌺
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आँचल सोनी 'हिया'
27-Oct-2022 12:49 AM
Bahut khoob 🙏🌺
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